Grace 6
.. Grace - 6 Grace अरण्य से गुजरते मन्त्रहीन विचारों के जाल से दूर दूर दूर तक फैली पूरी तरह से अनछुई सी एक पेड़ की शाखाएँ देख मैं धीरे से बैठ गई अचानक एक पत्ती की खुशबू मेरे विचारशून्य मन को बिना कुरेदे आनंद का आभास देने लगी तरंगें जैसे झूला झुला रही थी वो जंगल की नीरवता और गहन हो गई ध्यान देने पर भी वहाँ बस वह खुशबू ही रह गई रिद्धिमा 16 - 06 - 2021