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Showing posts from January, 2021

आत्मदीप

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 .. आत्मदीप महाप्राण है , महाभाग्य है , महाकाव्य है , महाद्वंद भी , महाप्रयाण की महायात्रा है , महाभारत है नित्य ही , रंग छंद है , पंक्ति बद्ध है , तान है इसमें संगीत की , महाकटार है , तीव्र धार है , लड़ना है और मिट जाना भी , स्वसुधार है , स्वउद्धार है , खोज है यह सत्य की , रंग मंच है , दृष्टि भंग है , आर्त नाद है , स्वप्न मात्र ही , दृश्य कला है , मंगल विधा है , लक्ष्य कला है और कर्म कला ही , ज्ञान स्वयं का , तम अहम् का, ज्योत मरम का , अंधकार अब और नहीं , भारत रत्न है, सेवा स्वप्न है , क्रिया धर्म है , उपकार नहीं , दीवानापन है , नभ भी कम है , आत्मदीप है , अतृप्त नहीं।   रिद्धिमा    24 - 12 - 2021          Please visit -                            Meditation 1

साथ तुम्हारा

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 .. साथ तुम्हारा   जान कर तुमको , न तुमको भूल पाएंगे , कैसे कह दिया तुमने हम किसी और के हो जायेंगे , तुमसे मोहब्बत है , कि नहीं है , ये तो नहीं पता , पर ये मोहब्बत किसी और से भी न कर पाएंगे , माना लब पर जिक्र होता है तुम्हारा कभी - कभी , पर जेहन ने तो तुम्हें भुलाया ही नहीं कभी , आते हो तुम धड़कन में साँसों की महक में , माना होता है मुश्किल से  नज़ारा दीदार में , तुम तुम्हारा प्यार सब याद है मुझे , अब कोई गिला कोई शिकायत नहीं मुझे , साथ तुम हो , हो आसपास , बस अहसास काफी है , बात तो तब हो , जब यह अहसास ही काफी है।   रिद्धिमा  20 - 01 - 2021                                                  

मिलने की रस्म

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 .. मिलने की रस्म  मिलने की रस्म को अदा करना है, मुस्कराहट आ तूझे आज फिर लबों पर दिखना है। इजाजत नहीं आज पतझड़ तुझको, ले आओ बहारों को आज तो बसंत को सजना है। आंसुओ अपनी आहट का पता न देना किसी को, कर देना कोई बहाना न इनको बहाना है। छोडो, जाने दो, सब सपना है, बह जाने दो इन्हें भी, यहाँ कहाँ कोई अपना है .. रिद्धिमा 22- 01 - 2021                                                   Out Side World

चाहत और शिकवा

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 .. कुछ यूँही   चाहत और शिकवा साथ-साथ चलते हैं, उँचे उड़ने वाले पँछी भी आखिर जमीन पर ही ठहरते हैं .... ख्वाब है मिट्टी, और मिट्टी है मंजिल, बीज सी समझ होगी,तो गहराई भी साथ देगी ... जीवन छोटी मोटी बातों की ऊन सा ,  अनगिनत रँग ,  और हमारी पसन्द ना पसन्द में उलझे हुए हम... भिन्न भिन्न समय  रिद्धिमा

वो सच्चा आईना

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 .. वो सच्चा आईना सबसे सच्चा सुख स्वयं से सच्चा होना , पर सम्मान का सुख , समय के अपने दायरे में होने का सुख , कुछ पाने का सुख , कुछ न पाने का दुःख , और सबसे बड़ा समाज का आईना ; सच में कभी सामने आने नहीं देता वो सच्चा आईना । रिद्धिमा  10- 02- 2020                                                             Grace 2

बोध

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 .. बोध कुछ शोर की अब आदत सी हो चली है , ज्ञान चर्चा ने मैं और मन दोनों की नीव मजबूत कर रखी है , अरे ! ये क्या हुआ - कुछ देर सब ओर सन्नाटा था ; क्या बोध था , हाँ , अरे हाँ ! और फिर वही ज्ञान चर्चा , जिसको बोध का कोई बोध नहीं था l रिद्धिमा  10.12.20                                                           Wake Up Call  कुछ शोर की अब आदत सी हो चली है , ज्ञान चर्चा ने मैं और मन दोनों की नीव मजबूत कर रखी है , अरे ! ये क्या हुआ - कुछ देर सब ओर सन्नाटा था ; क्या बोध था , हाँ , अरे हाँ ! और फिर वही ज्ञान चर्चा , जिसको बोध का कोई बोध नहीं था l 10.12.20कुछ शोर की अब आदत सी हो चली है , ज्ञान चर्चा ने मैं और मन दोनों की नीव मजबूत कर रखी है , अरे ! ये क्या हुआ - कुछ देर सब ओर सन्नाटा था ; क्या बोध था , हाँ , अरे हाँ ! और फिर वही ज्ञान चर्चा , जिसको बोध का कोई बोध नहीं था l 10.12.20

बह जाएगी नाव मेरी

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 ..  बह जाएगी नाव मेरी पता है मुझे अच्छे से कि किनारे पर गहराई तक बंधी है नाव मेरी, जानती हूँ कि मेरे च्प्पू चलाने से कुछ भी न होगा, कोई भ्रम में नहीं हूँ कि कुछ विशेष है मुझमें, पर फिर भी एक आशा है कि एक दिन शायद पकड़ कमजोर होगी  और बह जाएगी नाव मेरी। रिद्धिमा  10.12.20                                                               Avdhar 1

तेरी याद

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 .. तेरी याद कैसे वो पीर उठती है  जिससे कोई मीरा बनती है  गौरांग की देह नाचती है , मरने का सुख कबीर को गवाता है , और सूर को बिन नैन दर्शन करवाता है , क्या ये सब कहानियाँ हैं , तेरी शहद सी मिठास पर क्यूँ मीठे नीम की चसक लग जाती है , भीगी हुई तीली में कहाँ आग लग पाती है , पानी में रहकर इसे सुखाऊँ कैसे , तू ही बता तेरे द्वारे आऊँ कैसे  ...  लिखते लिखते जबाब मिल गया , मीठा लगता है नीम अभी , यहीं शायद कुछ बाकी रह गया , या तो यही ही है या वही ही है , चाहिए दोनों - यही तो कमी है , तू ही तो वो आँख है - जो सबको देखता है , पर मैं - आखों से आखों को देखूं कैसे , लेकिन सुनो .. "मैं" की जरूरत ही नहीं , बस आँखें हैं , इतना ही काफी है.. रिद्धिमा  २१।  १०। २० Meditation 2 कैसे वो पीर उठती है जिकैसे वो पीर उठती है जिससे कोई मीरा बनती है गौरांग की देह नाचती है , मरने का सुख कबीर को गवाता है , और सूर को बिन नैन दर्शन करवाता है , क्या ये सब कहानियाँ हैं , तेरी शहद सी मिठास पर क्यूँ मीठे नीम की चसक लग जाती है , भीगी हुई तीली में कहाँ आग लग पाती है , पानी में रहकर इसे सुखाऊँ कैसे , तू ही बता तेर

Blessings

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 .. Blessings क्या होता है ध्यान तेरा , जब मैं आसन लगाकर बैठती हूँ , क्या होता है तू वहीं , जब आखों में तुझको भर्ती हूँ , क्या साथ तेरा वो साया नहीं , जो महसूस सदा मैं करती हूँ , या हवाओं के अहसास और फ़िज़ा के नूर में भी , जहाँ अक्सर मैं खो जाती हूँ , नहीं मैं तुझसे दूर नहीं , तू है हर जगह जिधर भी मैं देखती हूँ।   रिद्धिमा  26-01-2021            please visit -                          Blessings