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सब कुछ एक ही है

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 .. सब कुछ एक ही है                                               सब कुछ एक ही है  पृथ्वी से काया , सूर्य से ऊर्जा , चंद्र से रस , जल से जीवन , आकाश से वृद्धि , एक छोटे से पत्ते में , समस्त पंचभूतों के साथ , अंतरिक्ष और ब्रह्माण्ड, सब समाया है।  सब कुछ एक ही है , और इसी से तो , अद्वैत का भाव आया है।  अपने ही पुत्र , पत्नी माँ को दीक्षित करना , फिर एक - एक कर सबको जाते देखना , निश्चित ही मंदिर के , भगवान की मूरत ही पूजनीय है , पर यह मंदिर जिसमें भगवान रहते हैं , उसका क्या ? हाँ भगवान हैं , इसीलिए तो मंदिर है ।  रिद्धिमा