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Showing posts from November, 2022

तितली

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            तितली बैठ कर अक्स पर अपने तितली , आईने की तितली से कहने लगी , छोड़ कर ये ख्वाब की दुनिया , आ तुझे मैं हकीकत में गले लगा लूँ ...

अब जाग

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    अब जाग   देह है जो 'दे' सबको, न कर मोह उसका, छोड़ना है एक दिन जिसको, झंझट हैं सब तर्क, उलझाने की विधियाँ हैं, ये कहा उसने, ये किया उसने, ये चालाकी, ये छल -कपट, बीत गये कहते -कहते जनम अनंत, अब जाग और मिलादे खुद को हरी की इच्छा में, नाम का ले आसरा, जो है  भवसागर का एकमात्र सहारा।। रिद्धिमा 9-11-22