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Showing posts from August, 2023

मोहब्बत/इश्तिहार

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  मोहब्बत/इश्तिहार न मिल सकी जिसे मोहब्बत , वो इश्तिहार लगाया करें , मोहब्बत से खिले कमल भी, कभी भवरों को निमंत्रण भेजा करते हैं.... 

पिंजरे की बुलबुल

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  पिंजरे की बुलबुल छोटी सी बुलबुल लाड़ली सबकी,  अब पिंजरे में नहीं,  छोटे से लकड़ी के घर में रहती है, खुला है आसमान उसके पास, फिर क्यों बंधन में रहते है, रोज सुबह दाना-पानी समय से उसको मिलता है, और इना, मीना, और उसकी माँ से प्यार भी तो बहुत मिलता है, सोचती है कहीं और जाकर न मिला खाना और ठिकाना, तो व्यर्थ ही आज़ादी का दम्भ भरूंगी, तकलीफ ही क्या है यहां मुझको, जो यहां से दूर उड़ूँगी, बिन पिंजरे के भी वह पिंजरे की बुलबुल बन जाती है,  और हैं पंख उसके भी यह तो भूल ही जाती है...