.. "नीले आसमान के नीचे हम सब बराबर हैं " बाबा साहब भीमराव रामजी अंबेडकर भारत के तीन प्रमुख प्रतिनिधियों में जिनका नाम आता है , शिक्षा ही समाज को बदल सकती , जिनका जीवन यह बतलाता है। अस्पृश्यता के मैल को धोकर , जो दलितों का मसीहा कहलाता है, संविधान की पुस्तक लेकर जो भारत के कण - कण में बस जाता है। माँ -भीमा और पिता -राम जी के नाम को जो उज्जवल कर जाता है , कृष्ण केशव - गुरु के कारण जो सकपाल से अंबेडकर कहलाता है। समाजसेवी दादा केलुस्कर ने जिनको गायकवाड़ के सहयोग से लंडन में पढ़वाया था , नौ भाषाओँ के साथ बत्तीस डिग्री वाला प्रथम दलित भारतीय कहलाया था। साहू के सहयोग से मूकनायक साप्ताहिक निकलवाया था , बहिस्कृत हितकारिणी सभा के द्वारा " कलंक है अस्पृश्यता" यह विश्वास दिलाया था। वटिंग फॉर अ वीज़ा और हू वर द सुद्राज को लिखकर कुछ समाज को समझाया था...
अब जाग देह है जो 'दे' सबको, न कर मोह उसका, छोड़ना है एक दिन जिसको, झंझट हैं सब तर्क, उलझाने की विधियाँ हैं, ये कहा उसने, ये किया उसने, ये चालाकी, ये छल -कपट, बीत गये कहते -कहते जनम अनंत, अब जाग और मिलादे खुद को हरी की इच्छा में, नाम का ले आसरा, जो है भवसागर का एकमात्र सहारा।। रिद्धिमा 9-11-22
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