तेरी याद
..
तेरी याद
कैसे वो पीर उठती है
जिससे कोई मीरा बनती है
गौरांग की देह नाचती है ,
मरने का सुख कबीर को गवाता है ,
और सूर को बिन नैन दर्शन करवाता है ,
क्या ये सब कहानियाँ हैं ,
तेरी शहद सी मिठास पर क्यूँ मीठे नीम की चसक लग जाती है ,
भीगी हुई तीली में कहाँ आग लग पाती है ,
पानी में रहकर इसे सुखाऊँ कैसे ,
तू ही बता तेरे द्वारे आऊँ कैसे ...
लिखते लिखते जबाब मिल गया ,
मीठा लगता है नीम अभी ,
यहीं शायद कुछ बाकी रह गया ,
या तो यही ही है या वही ही है ,
चाहिए दोनों - यही तो कमी है ,
तू ही तो वो आँख है - जो सबको देखता है ,
पर मैं - आखों से आखों को देखूं कैसे ,
लेकिन सुनो ..
"मैं" की जरूरत ही नहीं ,
बस आँखें हैं ,
इतना ही काफी है..
रिद्धिमा
२१। १०। २०
Meditation 2 |
कैसे वो पीर उठती है जिकैसे वो पीर उठती है जिससे कोई मीरा बनती है गौरांग की देह नाचती है , मरने का सुख कबीर को गवाता है , और सूर को बिन नैन दर्शन करवाता है , क्या ये सब कहानियाँ हैं , तेरी शहद सी मिठास पर क्यूँ मीठे नीम की चसक लग जाती है , भीगी हुई तीली में कहाँ आग लग पाती है , पानी में रहकर इसे सुखाऊँ कैसे , तू ही बता तेरे द्वारे आऊँ कैसे ... रिद्धिमा २१। १०। २०कैसे वो पीर उठती है जिससे कोई मीरा बनती है गौरांग की देह नाचती है , मरने का सुख कबीर को गवाता है , और सूर को बिन नैन दर्शन करवाता है , क्या ये सब कहानियाँ हैं , तेरी शहद सी मिठास पर क्यूँ मीठे नीम की चसक लग जाती है , भीगी हुई तीली में कहाँ आग लग पाती है , पानी में रहकर इसे सुखाऊँ कैसे , तू ही बता तेरे द्वारे आऊँ कैसे ... रिद्धिमा २१। १०। २०कैसे वो पीर उठती है जिससे कोई मीरा बनती है गौरांग की देह नाचती है , मरने का सुख कबीर को गवाता है , और सूर को बिन नैन दर्शन करवाता है , क्या ये सब कहानियाँ हैं , तेरी शहद सी मिठास पर क्यूँ मीठे नीम की चसक लग जाती है , भीगी हुई तीली में कहाँ आग लग पाती है , पानी में रहकर इसे सुखाऊँ कैसे , तू ही बता तेरे द्वारे आऊँ कैसे ... रिद्धिमा २१। १०। २०कैसे वो पीर उठती है जिससे कोई मीरा बनती है गौरांग की देह नाचती है , मरने का सुख कबीर को गवाता है , और सूर को बिन नैन दर्शन करवाता है , क्या ये सब कहानियाँ हैं , तेरी शहद सी मिठास पर क्यूँ मीठे नीम की चसक लग जाती है , भीगी हुई तीली में कहाँ आग लग पाती है , पानी में रहकर इसे सुखाऊँ कैसे , तू ही बता तेरे द्वारे आऊँ कैसे ... रिद्धिमा २१। १०। २०ससे कोई मीरा बनती है
गौरांग की देह नाचती है , मरने का सुख कबीर को गवाता है , और सूर को बिन नैन दर्शन करवाता है , क्या ये सब कहानियाँ हैं , तेरी शहद सी मिठास पर क्यूँ मीठे नीम की चसक लग जाती है , भीगी हुई तीली में कहाँ आग लग पाती है , पानी में रहकर इसे सुखाऊँ कैसे , तू ही बता तेरे द्वारे आऊँ कैसे ... रिद्धिमा २१। १०। २०कैसे वो पीर उठती है जिससे कोई मीरा बनती है गौरांग की देह नाचती है , मरने का सुख कबीर को गवाता है , और सूर को बिन नैन दर्शन करवाता है , क्या ये सब कहानियाँ हैं , तेरी शहद सी मिठास पर क्यूँ मीठे नीम की चसक लग जाती है , भीगी हुई तीली में कहाँ आग लग पाती है , पानी में रहकर इसे सुखाऊँ कैसे , तू ही बता तेरे द्वारे आऊँ कैसे ... रिद्धिमा २१। १०। २०
रिद्धिमा
Comments
Post a Comment