Grace 2
Grace 2 वृक्ष ने आश्चर्य से देखा , जब परम चक्र के बाहर निकल , किसी ने शांत होना सीख लिया , कर्तव्य में रत , उद्यम में तत्पर , रंगीन ऊन से बने जीवन में , रंग हैं सब - यह जान कर , हाथ फैलाकर सबका स्वागत किया , मन के शांत होते ही , बीच भँवर में नाव की , उथल - पुथल भी रुक गई , ताने - बाने से बनी जिंदगी , अरण्य में सूर्य की ऊष्मा के सामान और खिल गई। रिद्धिमा The tree looked in amazement, When the ultimate chakra comes out, Somebody learned to calm down engaged in duty, ready for enterprise, In a life made of colored wool, Colors are all - knowing this, Welcomed everyone with outstretched hands, As soon as the mind is calm, Boat in the middle of the whirlpool, The turmoil also stopped, Warped life, Like the sun's heat in a deep forest, it blossomed more. Riddhima