Grace 2
Grace 2
वृक्ष ने आश्चर्य से देखा ,
जब परम चक्र के बाहर निकल ,
किसी ने शांत होना सीख लिया ,
कर्तव्य में रत , उद्यम में तत्पर ,
रंगीन ऊन से बने जीवन में ,
रंग हैं सब - यह जान कर ,
हाथ फैलाकर सबका स्वागत किया ,
मन के शांत होते ही ,
बीच भँवर में नाव की ,
उथल - पुथल भी रुक गई ,
ताने - बाने से बनी जिंदगी ,
अरण्य में सूर्य की ऊष्मा के सामान और खिल गई।
रिद्धिमा
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