बाबा साहब भीमराव रामजी अंबेडकर

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"नीले आसमान के नीचे हम सब बराबर हैं "




भारत के तीन प्रमुख प्रतिनिधियों में जिनका नाम आता है ,

शिक्षा ही समाज को बदल सकती , जिनका जीवन यह बतलाता है। 

अस्पृश्यता के मैल को धोकर , जो दलितों का मसीहा कहलाता है,

संविधान की पुस्तक लेकर जो भारत के कण - कण में बस जाता है। 

माँ -भीमा और पिता -राम जी के नाम को जो उज्जवल कर जाता है ,

कृष्ण केशव - गुरु के कारण जो सकपाल से अंबेडकर कहलाता है। 

समाजसेवी दादा केलुस्कर ने जिनको गायकवाड़ के सहयोग से लंडन में पढ़वाया था ,

नौ भाषाओँ के साथ बत्तीस डिग्री  वाला प्रथम दलित भारतीय कहलाया था।

साहू के सहयोग से मूकनायक साप्ताहिक निकलवाया था ,

बहिस्कृत हितकारिणी सभा के द्वारा " कलंक है अस्पृश्यता" यह विश्वास दिलाया था। 

वटिंग फॉर अ वीज़ा और हू वर द सुद्राज को लिखकर कुछ समाज को समझाया था ,

१४ अप्रेल , महू में जन्मा , जिसने बाद में बुद्ध धर्म को अपनाया था। 


बम्बई यूनिवर्सिटी के बाद कोलंबिया फिर लंडन इकोनॉमिक्स के बाद ग्रेज़ से बेरिस्टर बन के आया था ,

वह भारत का प्रथम - विधि और न्याय मंत्री कहलाया था।

बी. एन. राव और राजेंद्र प्रसाद के सहयोग से जो प्रारूप समिति का सदस्य बन पाया था ,

और संविधान को रचकर साइमन को गलत ठहराया था। 

जिसने संविधान में धर्मनिरपेक्षिता और समानता से भारत में सभी को ऊँचा दर्जा दिलवाया था ,

ऐसा माँ भारती का लाल भीमराव रामजी अंबेडकर  कहलाया था। 

धन्यवाद

आभार

रिद्धिमा


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