सत्य शिव और सुन्दर ..🙏🌺🙏





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सत्य शिव और सुन्दर 
🙏🌺🙏


 

सूर्य कहाँ कभी उदय होता है ,

और कहाँ कभी अस्त होता है। 

पर दिखता भी है यही ,

और कहा भी जाता है यही।

तम भी ऐसे ही कर देता है दिशाहीन ,

डर के भूतों का शोर कर जाता है ग़मगीन। 

निशा जब हो जाती है किरण विहीन ,

और मन हो जाता है मन्त्र हीन ,

रुको , ठहरो उसी क्षण ,

जैसे ठहरा था अर्जुन।

स्वाति की बूँद है यह क्षण ,

उभरेंगे मोती बनकर सभी सुजन।

जानो जीवन का मर्म ,

जैसे नचिकेता ने जाना था।

एकतत्व है परा - अपरा ,

जैसे कपिल देव ने पहचाना था।

 

न घबराओ उसको याद करो ,

जानो और विश्वास करो।

गूढ़ रहस्य है ऋचाओं में अभी ,

उद्घटित करो , उपचार करो।

परोपकार और करुणा प्रधान ,

सत्य शिव और सुन्दर की स्थापना करो।

धन्यवाद

रिद्धिमा

२०-०४ - २१

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